Amarnath Yatra 2025: अमरनाथ धाम भगवान शिव के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ की गुफा तक पहुंचते हैं। यहां प्राकृतिक रूप से बर्फ से निर्मित शिवलिंग स्थापित होता है जिसे ‘हिमलिंग’ भी कहा जाता है। यह गुफा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वर्ष 2025 में बाबा बर्फानी का पहला दर्शन 11 जून को हुआ और इसी दिन विधिपूर्वक पूजा भी की गई।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर हुई पहली पूजा
अमरनाथ की पवित्र गुफा में पहली पूजा ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर की गई। यह पूजन अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा विधिवत रूप से आयोजित किया गया। इस दौरान श्राइन बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी भी पूजा में सम्मिलित हुए और पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की आराधना की गई। अब प्रतिदिन सुबह और शाम गुफा में भगवान शिव की आरती और पूजा संपन्न होगी। यह पूजा अगले दो महीनों तक चलेगी और लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन को पहुंचेंगे।
तीर्थयात्रा का प्रारंभ 3 जुलाई से
श्राइन बोर्ड के चेयरमैन और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि पहली पूजा के बाद यात्रा से जुड़ी तैयारियों को तेजी से अंजाम दिया जाएगा। अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई 2025 से शुरू होगी और 38 दिनों तक चलेगी। यात्रा का समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन होगा। पिछले साल लगभग 5 लाख श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन करने पहुंचे थे। इस साल भी अनुमान है कि इतनी ही संख्या में श्रद्धालु गुफा के दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। यात्रा के लिए सुरक्षा से लेकर चिकित्सा सुविधाएं और रास्तों की साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की जा रही है।
अमरनाथ से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
अमरनाथ की गुफा को लेकर धार्मिक मान्यता है कि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। इसी कारण इस गुफा को ‘अमरनाथ’ नाम दिया गया। ऐसी भी मान्यता है कि उस समय दो कबूतरों ने यह अमरकथा सुन ली थी और वे भी अमर हो गए थे। पुराणों में यह उल्लेख है कि अमरनाथ में बाबा बर्फानी के दर्शन करने से काशी में शिव के दर्शन से दस गुना और प्रयाग में भोलेबाबा के दर्शन से सौ गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि बाबा बर्फानी के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सारे पाप मिट जाते हैं।
