Axiom-4 Mission: अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरने का सपना देख रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को एक बार फिर इंतजार करना पड़ेगा। आज एक बार फिर Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग टाल दी गई है। यह चौथी बार है जब इस मिशन को स्थगित किया गया है। स्पेसएक्स कंपनी ने जानकारी दी है कि रॉकेट के एक हिस्से में लिक्विड ऑक्सीजन (LOx) का रिसाव पाया गया है जिसके चलते लॉन्चिंग टालने का फैसला लिया गया है। यह रिसाव रॉकेट की जांच के दौरान सामने आया। अब तकनीकी टीम इस समस्या को ठीक कर रही है। कंपनी ने साफ किया है कि जब तक मरम्मत पूरी नहीं होती और सभी जरूरी अनुमतियां नहीं मिलतीं तब तक नई लॉन्च डेट घोषित नहीं की जाएगी।
41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष की ओर
अगर यह मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च होता तो शुभांशु शुक्ला 41 साल बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होते। इससे पहले 1984 में कैप्टन राकेश शर्मा सोवियत संघ के साथ मिलकर अंतरिक्ष गए थे। शुभांशु को आज शाम 5:30 बजे अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष की यात्रा पर रवाना होना था। उनके साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री भी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में 14 दिन के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने वाले थे। इससे पहले 9 जून को खराब मौसम के कारण मिशन दो दिन के लिए टाल दिया गया था और अब आज फिर से तकनीकी वजहों से यह मिशन टल गया।
Standing down from tomorrow’s Falcon 9 launch of Ax-4 to the @Space_Station to allow additional time for SpaceX teams to repair the LOx leak identified during post static fire booster inspections. Once complete – and pending Range availability – we will share a new launch date pic.twitter.com/FwRc8k2Bc0
— SpaceX (@SpaceX) June 11, 2025
क्या है Axiom-4 मिशन का मकसद?
अब सवाल उठता है कि इस मिशन का मकसद क्या है और इसमें ऐसा क्या खास है जिसकी पूरी दुनिया नजरें टिकाए बैठी है। दरअसल Axiom-4 मिशन पूरी तरह विज्ञान पर केंद्रित है। NASA के मुताबिक, इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे जो विज्ञान, शैक्षणिक और व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़े होंगे। इस मिशन के जरिए अंतरिक्ष में पौधों की बढ़त और अंकुरण पर रिसर्च होगी। खासतौर पर यह देखा जाएगा कि ज़ीरो ग्रेविटी में बीज किस तरह अंकुरित होते हैं और पौधों के विकास पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। यह रिसर्च भविष्य में अंतरिक्ष खेती की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
भारतीय वैज्ञानिकों के 7 अनोखे प्रयोग भी होंगे शामिल
इस बार इस मिशन में भारतीय वैज्ञानिकों की अहम भूमिका भी देखने को मिलेगी। भारत की तरफ से 7 खास वैज्ञानिक प्रयोगों को इस मिशन में शामिल किया गया है। इनमें से एक अहम प्रयोग मांसपेशियों की कमजोरी यानी मसल एट्रॉफी के कारणों की पहचान से जुड़ा होगा। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करेंगे कि अंतरिक्ष में मांसपेशियां क्यों सिकुड़ती हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है। इसके अलावा पानी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया पर भी एक खास अध्ययन किया जाएगा। इन प्रयोगों से न सिर्फ अंतरिक्ष विज्ञान को नई दिशा मिलेगी बल्कि पृथ्वी पर स्वास्थ्य और जैविक अनुसंधान के क्षेत्र में भी इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।
