Canada के वैंकूवर शहर में एक गंभीर घटना सामने आई है जिसमें एक जाने-माने खोजी पत्रकार मोचा बेज़िरगन को खालिस्तान समर्थकों ने घेर लिया और उन्हें धमकियां दीं। यह घटना उस वक्त हुई जब मोचा शहर के डाउंटाउन इलाके में चल रही खालिस्तान समर्थकों की रैली को कवर कर रहे थे। पत्रकार ने बताया कि वह वीडियो और तस्वीरें बना रहे थे तभी कुछ लोग उनके पास आए और उनका मोबाइल छीन लिया। मोचा ने कहा, “ये सब दो घंटे पहले हुआ और मैं अब भी कांप रहा हूं। उन्होंने मुझे घेरा, फोन छीना और रिकॉर्डिंग रोकने की कोशिश की। ऐसा लगा जैसे कोई गुंडा मुझे डराने आया हो।”
हिंसा का महिमामंडन कर रहे थे रैली में शामिल लोग
मोचा बेज़िरगन ने बताया कि जिस रैली में वह कवरेज के लिए पहुंचे थे वहां मौजूद लोग खुलेआम भारत के खिलाफ उकसावेभरी बातें कर रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि वहां मौजूद खालिस्तान समर्थक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों की तारीफ कर रहे थे। मोचा ने कहा, “ये लोग खुद को इंदिरा गांधी के हत्यारों का वारिस मानते हैं और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति को खत्म करने की धमकियां दे रहे थे। मैंने इनसे सवाल किया कि क्या आप मोदी की राजनीति को उसी तरह खत्म करना चाहते हैं जैसे इंदिरा गांधी की राजनीति को खत्म किया गया था?”
#WATCH | Vancouver, Canada: On being asked about Khalistani extremism, Canadian Investigative Journalist Mocha Bezirgan, says "This is a movement headed by Sikhs for Justice (SFJ). They are the ones organising it, and most of the time, it's the same people attending these… pic.twitter.com/p8Z29IFcMj
— ANI (@ANI) June 8, 2025
सिख्स फॉर जस्टिस और विश्व सिख संगठन पर आरोप
पत्रकार ने यह भी दावा किया कि यह पूरा आंदोलन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) नाम के संगठन द्वारा चलाया जा रहा है। मोचा ने बताया कि चाहे रैली कनाडा में हो, अमेरिका, ब्रिटेन या न्यूज़ीलैंड में – सभी जगह एक जैसे चेहरे दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि यह संगठन स्थानीय गुरुद्वारों से भीड़ जुटाता है, लेकिन इसके पीछे राजनीतिक संगठनों का भी हाथ है। उन्होंने ‘विश्व सिख संगठन’ का नाम लिया और कहा कि यह संगठन विवादों से घिरा रहा है और कनाडा में इन गतिविधियों को राजनीतिक संरक्षण देता है। उनका मानना है कि भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव की वजह से यह मुद्दा और गंभीर बन गया है।
हिंसा की वकालत नहीं आज़ादी की आड़ में साजिश
मोचा बेज़िरगन ने साफ कहा कि यह केवल आज़ादी की मांग नहीं है, बल्कि हिंसा को बढ़ावा देने की साजिश है। उन्होंने बताया कि खालिस्तान समर्थक G-7 जैसे मंचों पर भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ भड़काऊ बयान दे रहे हैं। यह सिर्फ विचारों की अभिव्यक्ति नहीं बल्कि कट्टरता और हिंसा का प्रचार है। मोचा ने यह भी कहा कि उनके साथ हुआ हमला कोई संयोग नहीं था, बल्कि उनकी आवाज दबाने की सोची-समझी कोशिश थी। उन्होंने आखिर में कहा, “मैं डरूंगा नहीं, सच्चाई सामने लाना ही मेरी ज़िम्मेदारी है और मैं इसे निभाता रहूंगा।”
