Sambhal News: संभल जिले में बीमा राशि हड़पने के लिए बीमित व्यक्तियों की हत्या से जुड़े मामले की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने स्थानीय पुलिस से दर्ज मामलों की कॉपियां और दस्तावेज मांगे हैं। अधिकारियों के अनुसार, इस रैकेट की अनुमानित रकम 100 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है। संभल पुलिस और ED मिलकर इस घोटाले की तह तक पहुंचने में जुटी हुई है।
पुलिस की जांच में गिरफ्तारियां और फरार आरोपी
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी क्षेत्र) अनुकरिति शर्मा ने मीडिया को बताया कि जनवरी से इस गिरोह पर नजर रखी जा रही थी। अब तक इस मामले में 52 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि 50 से अधिक आरोपी अभी भी फरार हैं। इसके अलावा तीन आरोपियों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। उन्होंने कहा कि ED ने इस मामले से जुड़ी सभी जानकारियां और दस्तावेज पुलिस से मांगे थे, जो पुलिस ने उन्हें सौंप दिए हैं।
कैसे चल रहा था फर्जीवाड़ा और हत्या की साजिश
एसपी अनुकरिति शर्मा ने बताया कि यह गिरोह ज्यादातर युवा लोगों को निशाना बनाता था। कई मामलों में हत्या तक की गई ताकि बीमा राशि हासिल की जा सके। गिरोह के सदस्य कैंसर जैसे गंभीर बीमारियों से पीड़ित या मृत व्यक्तियों के नाम पर बीमा पॉलिसी लेते थे। फिर कागजों में हेरफेर कर बीमा कंपनियों से रकम हड़पने की साजिश रचते थे। उन्होंने बताया कि इस घोटाले के धागे कम से कम 12 राज्यों तक जुड़े हुए हैं। अब तक इस मामले में 17 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें चार हत्या के भी मामले शामिल हैं।
जांच में हुए बड़े खुलासे और आगे की कार्रवाई
अनुकरिति शर्मा ने कहा कि हत्या के मामलों में मौत को सड़क हादसे के रूप में पेश किया गया था, जिसमें अज्ञात वाहन को जिम्मेदार बताया गया। शुरू में इन मामलों की रिपोर्टें फाइनल कर दी गई थीं, लेकिन अनियमितताएं मिलने पर पुलिस ने पुनः जांच शुरू की। जांच में पता चला कि 29 मौत प्रमाण पत्र पूरी तरह नकली थे, जबकि कुछ असली भी थे लेकिन उनकी तारीखों में हेरफेर किया गया था ताकि बीमा दावा पास हो सके। पुलिस ने कई बीमा कंपनियों से डेटा मांगा है, जो फिलहाल जांच के लिए रिव्यू किया जा रहा है। जांच के शुरुआती नतीजों में आशा वर्कर्स, स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मी और बीमा कंपनियों के कर्मचारी भी शामिल पाए गए हैं। जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और जल्द ही और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
