South Korea New President: दक्षिण कोरिया की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। अब देश की बागडोर संभाल ली है प्रगतिशील सोच वाले नेता ली जे-म्योंग ने। जनता के बीच लोकप्रिय माने जाने वाले ली को अब एक साथ कई आंतरिक और बाहरी समस्याओं से निपटना होगा। उन्होंने राष्ट्रपति बनते ही स्पष्ट कर दिया है कि वे संवाद और स्थिरता को प्राथमिकता देंगे। उनके सामने उत्तर कोरिया से तनाव, अमेरिका और चीन के बीच संतुलन और घरेलू आर्थिक समस्याओं जैसे गंभीर मुद्दे हैं जिनसे उन्हें कुशलता से निपटना होगा।
उत्तर कोरिया और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों की चुनौती
दक्षिण कोरिया का उत्तर कोरिया से दशकों से तनावपूर्ण रिश्ता रहा है। ऐसे में राष्ट्रपति ली जे-म्योंग को बहुत संतुलित रवैया अपनाना होगा ताकि देश की सुरक्षा भी बनी रहे और बातचीत के रास्ते भी खुले रहें। उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण और परमाणु कार्यक्रम इस चुनौती को और बड़ा बना देते हैं। राष्ट्रपति ली ने संकेत दिया है कि वे उत्तर कोरिया से संवाद की प्रक्रिया फिर शुरू करना चाहते हैं। वहीं अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव के बीच दक्षिण कोरिया को ऐसी नीति अपनानी होगी जिससे उसकी सामरिक स्थिति कमजोर न हो और व्यापारिक हित भी सुरक्षित रहें। ली जे-म्योंग अमेरिका और जापान के साथ त्रिपक्षीय संबंध मजबूत करने की बात कह चुके हैं।
घरेलू मोर्चे पर आर्थिक असमानता और जनता की परेशानी
देश के अंदर ली जे-म्योंग को आर्थिक असमानता और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ेगा। खासकर युवा वर्ग में नौकरी की कमी एक बड़ी चिंता है। उन्हें ऐसी नीतियां बनानी होंगी जिससे रोजगार के अवसर बढ़ें और गरीब व मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति मजबूत हो। साथ ही सियोल और अन्य बड़े शहरों में घरों की कीमतें आसमान छू रही हैं जिससे आम आदमी के लिए घर खरीदना सपना बन गया है। ऐसे में ली को एक मजबूत आवास नीति लागू करनी होगी ताकि जनता को राहत मिल सके।
भ्रष्टाचार, जलवायु और राजनीतिक ध्रुवीकरण से निपटना भी जरूरी
दक्षिण कोरिया में पहले भी कई राष्ट्रपतियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं और उन्हें जेल तक जाना पड़ा है। ऐसे में ली जे-म्योंग पर यह जिम्मेदारी है कि वे पारदर्शी शासन व्यवस्था लागू करें और जनता का भरोसा दोबारा जीतें। साथ ही जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाना होगा। इसके लिए दीर्घकालिक और व्यावहारिक योजना की ज़रूरत है। इसके अलावा राजनीतिक ध्रुवीकरण भी तेजी से बढ़ रहा है। विपक्षी दलों से संवाद बनाए रखना और देश को एकजुट रखना ली जे-म्योंग के सामने एक और बड़ी चुनौती होगी। वे अपने पहले भाषण में साफ कर चुके हैं कि देश में किसी भी तरह की तख्तापलट की अनुमति नहीं दी जाएगी और लोकतंत्र को मजबूत किया जाएगा।
