IPL 2025 की मेगा ऑक्शन में Rishabh Pant को लेकर जबरदस्त हलचल देखने को मिली थी। लखनऊ सुपर जायंट्स ने उन्हें पूरे 27 करोड़ रुपये में खरीदा था। यह अब तक की आईपीएल इतिहास की सबसे बड़ी बोली साबित हुई। उम्मीदें थीं कि पंत अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी से टीम को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। लेकिन जो हुआ वह इसके बिल्कुल उलट रहा। पंत न केवल बल्ले से नाकाम रहे बल्कि कप्तानी में भी प्रभाव नहीं छोड़ सके। इतनी बड़ी रकम में खरीदा गया खिलाड़ी जब रन बनाने में असफल हो तो यह किसी झटके से कम नहीं होता।
सिर्फ एक अर्धशतक और दो बार शून्य पर आउट
Rishabh Pant का IPL 2025 बेहद खराब रहा है। पूरे सीजन में उनका बल्ला खामोश रहा। पिच पर टिकना उनके लिए चुनौती बन गया। उन्होंने इस सीजन केवल एक अर्धशतक लगाया और कुल मिलाकर सिर्फ 128 रन ही बना सके। यह अर्धशतक उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ बनाया लेकिन वह मैच भी लखनऊ ने पांच विकेट से हार दिया। दो बार तो वह बिना खाता खोले पवेलियन लौटे। उनकी शुरुआती आउट होने की वजह से मिडिल ऑर्डर बिखर गया और पूरी टीम दबाव में आ गई। ना कप्तानी में कोई करिश्मा दिखा पाए और ना विकेटकीपिंग में कोई बड़ा योगदान दे पाए।
अनुभव के बावजूद बन गए टीम पर बोझ
Rishabh Pant 2016 से आईपीएल खेल रहे हैं और इस लीग के अनुभवी खिलाड़ी माने जाते हैं। उनके नाम एक शतक और 19 अर्धशतक दर्ज हैं। उन्होंने अब तक कुल 122 मैच खेले हैं और 3412 रन बनाए हैं। लेकिन इस सीजन उनकी बल्लेबाज़ी बेहद धीमी और एक जैसी रही। ना स्ट्राइक रोटेट कर पाए और ना ही बड़े शॉट्स लगाने में सफल रहे। टीम को जब सबसे ज्यादा ज़रूरत थी तब वह उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। लखनऊ सुपर जायंट्स ने जिस भरोसे के साथ उन्हें कप्तान और सबसे महंगा खिलाड़ी बनाया था वह भरोसा टूटता दिख रहा है।
लखनऊ की प्लेऑफ उम्मीदों पर संकट
लखनऊ सुपर जायंट्स की टीम अब तक कुल 11 मैच खेल चुकी है जिसमें से केवल 5 में जीत मिली है जबकि 6 में हार का सामना करना पड़ा है। अंक तालिका में टीम सातवें स्थान पर है और नेट रन रेट +0.469 है। टीम को अगर प्लेऑफ में जगह बनानी है तो उसे अपने बाकी के तीनों मैच हर हाल में जीतने होंगे। साथ ही बाकी टीमों के प्रदर्शन पर भी नज़र रखनी होगी क्योंकि अब मुकाबला सिर्फ जीत का नहीं बल्कि अंक और रन रेट का भी है। ऐसे में कप्तान पंत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है लेकिन उनके हालिया प्रदर्शन को देखते हुए उम्मीद कम ही नज़र आ रही है।
