Baglamukhi Jayanti: बगलामुखी जयंती आज यानी 5 मई को मनाई जा रही है। यह दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो बगलामुखी माता के अवतरण दिवस के रूप में विशेष महत्व रखता है। इस बार अष्टमी तिथि दो दिनों तक है, लेकिन उय्या तिथि होने के कारण बगलामुखी जयंती आज मनाई जाएगी। बगलामुखी माता को महाविद्याओं में से एक माना जाता है और इनकी उत्पत्ति सौराष्ट्र के हरिद्र नामक झील से मानी जाती है। उन्हें पीतांबरी के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है पीले वस्त्र पहनने वाली देवी। बगलामुखी माता पीले रंग को बहुत प्रिय मानती हैं, इसलिए उनकी पूजा में पीले रंग का महत्व होता है और भक्तों को भी पीले वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है।
बगलामुखी माता की पूजा के लाभ
बगलामुखी माता को शत्रुओं के संहार की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि उनके दर्शन से कोई भी शत्रु उनके सामने नहीं टिक सकता। इसलिए बगलामुखी माता की पूजा शत्रुओं से मुक्ति पाने और कोर्ट के मामलों में विजय प्राप्त करने के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। इसके साथ ही बगलामुखी माता को ब्रह्मास्त्र विद्या से भी जोड़ा जाता है। महाभारत में अश्वत्थामा द्वारा अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया गया था, वहीं अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र से जवाब दिया था। यह ब्रह्मास्त्र विद्या दरअसल बगलामुखी माता की पूजा और उनकी शक्ति को संदर्भित करती है। आज के दिन बगलामुखी माता की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
बगलामुखी माता का विशेष 36 अक्षरी मंत्र
बगलामुखी माता के विशेष 36 अक्षरी मंत्र का उपयोग हर व्यक्ति को अपनी समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए किया जा सकता है। यह मंत्र है:
“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचां मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धि विनाशाय ह्लीं ॐ स्वाहा”
इस मंत्र का जाप करने से न केवल शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, बल्कि कोर्ट के मामलों में भी सफलता मिलती है। इसके अलावा यह मंत्र मानसिक शांति, लंबी उम्र और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाने में सहायक माना जाता है। इस मंत्र का जप करने से भय का नाश होता है और व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है।
बगलामुखी माता के यंत्र की स्थापना और मंत्र का जाप
बगलामुखी माता के यंत्र की स्थापना के लिए सबसे पहले यंत्र को किसी धातु या तांबे के बर्तन में रखें। फिर उसे घी से स्नान कराएं और उसके बाद दूध और पानी की धारा से धोकर उसे पवित्र करें। इसके बाद यंत्र को सफेद या पीले फूलों के ऊपर रखें और उस पर पीले फूलों की माला अर्पित करें। इसके बाद धूप, दीप और अगरबत्तियां जलाकर देवी की पूजा करें। पूजा के दौरान 36 अक्षरी मंत्र का जप करें। इस मंत्र का एक लाख बार जप करना निर्धारित है, लेकिन यदि आप एक हजार मंत्र भी जपते हैं तो वह भी फायदेमंद रहेगा। इस जाप के साथ हवन, तर्पण, मर्जन और ब्राह्मण को भोजन अर्पित करना भी जरूरी है। अगर किसी कारणवश पूरा उपाय नहीं कर पा रहे हैं तो मंत्रों की संख्या बढ़ा सकते हैं।
बगलामुखी माता के यंत्र को रात के समय मंदिर में स्थापित किया जा सकता है या इसे गले में पहनने का भी विधान है। यंत्र पहनते समय यह ध्यान रखें कि यह कार्य रात के समय ही किया जाए। इस तरह से बगलामुखी माता की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं और सभी बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
