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Pahalgam attack: सीमा पर गहराया संकट, अफगान नेता की चेतावनी ने बढ़ाई पाकिस्तान की चिंता

Pahalgam attack: सीमा पर गहराया संकट, अफगान नेता की चेतावनी ने बढ़ाई पाकिस्तान की चिंता

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Pahalgam attack: पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान भारत की कड़ी कार्रवाई से बुरी तरह डर चुका है। पाकिस्तान के नेता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि उनके देश पर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। इस बीच, अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भी भारत की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया दी है। उनका बयान अब तेजी से वायरल हो रहा है।

अमरुल्लाह सालेह का बयान

अमरुल्लाह सालेह ने X पर एक पोस्ट साझा किया और लिखा कि “भारत ने अपने दुश्मन की गर्दन के चारों ओर लंबी रस्सी डाली है, न कि उसे एक इलेक्ट्रिक चेयर पर बैठाकर मारा।” इस बयान के जरिए अमरुल्लाह यह कहना चाहते हैं कि भारत अपने दुश्मन को एक बार में खत्म करने के बजाय धीरे-धीरे सजा दे रहा है। अमरुल्लाह का यह बयान पाकिस्तान को सीधे तौर पर एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।

पहलगाम हमले पर अमरुल्लाह का प्रतिक्रिया

यह पहली बार नहीं है जब अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान के खिलाफ बयान दिया हो। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद, जब पूरी दुनिया ने इसकी कड़ी निंदा की थी, तब भी अमरुल्लाह ने एक पोस्ट साझा किया और लिखा, “आतंकवाद के खिलाफ इन खोखली सहानुभूतियों पर विश्वास करना बेवकूफी होगी। जब आप वास्तव में आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हैं, तो इनमें से कई लोग हाथ खींच लेंगे और कुछ लोग इसके फायदे के लिए उसी आतंकवाद को समर्थन देंगे।” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि अमरुल्लाह आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत को महसूस करते हैं।

पाकिस्तानी रक्षा मंत्री के वीडियो पर प्रतिक्रिया

हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने अमेरिका के पैसे से आतंकवाद को जन्म देने की बात कबूल की थी। इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए अमरुल्लाह सालेह ने पूछा था, “क्या आपने इस नए ग्राहक के साथ यह अनुबंध साइन किया है, या फिर पुराने ग्राहक के साथ यह अनुबंध फिर से नवीनीकरण किया है?” उनका यह सवाल पाकिस्तान के आतंकवाद को लेकर उसकी भूमिका को लेकर गंभीर चिंता जाहिर करता है।

अमरुल्लाह सालेह अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत से ताल्लुक रखते हैं। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने अपने परिवार से अलग होकर अहमद शाह मसूद के नेतृत्व में तालिबान विरोधी आंदोलन का हिस्सा बने। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तालिबान ने अमरुल्लाह सालेह पर कई हमले किए, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। 1996 में उनकी बहन की हत्या के बाद अमरुल्लाह ने तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोला। तालिबान के कब्जे से पहले वह अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति रहे थे।

अमरुल्लाह सालेह का यह बयान पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी के रूप में लिया जा रहा है। उनका यह कहना कि भारत अपने दुश्मन को धीरे-धीरे सजा दे रहा है, यह संकेत देता है कि पाकिस्तान को आतंकवाद और उसके समर्थन की कीमत चुकानी पड़ सकती है।

Neha Mishra
Author: Neha Mishra

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