उत्तराखंड के Badrinath Dham के कपाट श्रद्धालुओं के लिए आज खोल दिए गए हैं। इस मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया। कपाट खोलने के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की और भगवान बद्रीनिवाल से आशीर्वाद प्राप्त किया। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यह हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। इस समय, गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही खुल चुके हैं और अब चार धाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो चुकी है।
मंदिर का समय और विशेषताएं
Badrinath Dham को भगवान विष्णु का आवास माना जाता है और इसे पृथ्वी का ‘वैकुंठ’ कहा जाता है। यह पवित्र स्थल नार और नारायण पर्वतों के बीच, अलकनंदा नदी के बाएं किनारे पर स्थित है। इस मंदिर के कपाट मई से लेकर नवंबर तक श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते हैं। सर्दियों में जब मंदिर के कपाट बंद होते हैं, तब भगवान बद्रीनाथ की पूजा जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में की जाती है। मंदिर के कपाट बंद होने से पहले जलाया गया दीपक छह महीने तक लगातार जलता रहता है।
#WATCH | Uttarakhand: Flower petals being showered on the devotees as portals of Shri Badrinath Dham opened for the devotees today. pic.twitter.com/N4pbh1nmlP
— ANI (@ANI) May 4, 2025
चार धाम यात्रा की शुरूआत
Badrinath Dham में भगवान विष्णु की पूजा चतुर्भुज (चार भुजाओं वाले) शालिग्राम स्वरूप में की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह स्थल भगवान विष्णु के नार-नारायण रूप की तपोभूमि (तपस्या स्थल) रहा है। एक प्रसिद्ध कहावत है “जो जाये बद्री, वो न आये ओदरी”, जिसका अर्थ है कि जो श्रद्धा और भक्ति के साथ बद्रीनाथ धाम में पूजा करता है, उसे फिर से जन्म नहीं लेना पड़ता। इस वर्ष गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर खोले गए थे। इसके बाद बाबा केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को खोले गए और अब बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुल गए हैं, जिसके साथ ही चार धाम यात्रा की पूरी शुरुआत हो गई है।
चार धाम यात्रा के महत्व
चार धाम यात्रा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा मानी जाती है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु चार प्रमुख तीर्थ स्थलों – यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ का दर्शन करते हैं। इन स्थलों को भगवान विष्णु और शिव के पवित्र स्थान माना जाता है और यहां की यात्रा करने से श्रद्धालुओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस यात्रा का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है और लाखों श्रद्धालु हर वर्ष इस यात्रा पर जाते हैं।
