Delhi News: दिल्ली में ट्रांसजेंडर के वेश में भीख मांगने और जबरन वसूली करने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। यह काम अब एक संगठित अपराध के रूप में सामने आ रहा है। बसों में, चौराहों पर, मेट्रो और ट्रेनों में लोग ऐसे व्यक्तियों से परेशान हो चुके हैं जो खुद को ट्रांसजेंडर बताकर लोगों से जबरदस्ती पैसे ऐंठते हैं। हाल ही में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से यह बात सामने आई है कि इस गोरखधंधे में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हैं जो झूठी पहचान के साथ इस काम को अंजाम दे रहे हैं। कई मामलों में आरोपियों ने सर्जरी और हार्मोनल ट्रीटमेंट का सहारा लेकर अपनी असली पहचान को भी छुपा रखा था ताकि कानून और समाज की नजरों से बच सकें। यह न केवल आम लोगों के लिए असुविधा का कारण बन रहा है बल्कि ट्रांसजेंडर समुदाय की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
बांग्लादेशी नागरिकों की गहरी साज़िश और पुलिस की सख्ती
दिल्ली पुलिस ने इस बढ़ते अपराध को रोकने के लिए इस साल एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। SIT का मकसद है उन बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और गिरफ्तारी करना जो ट्रांसजेंडर के वेश में देश में अवैध गतिविधियों में शामिल हैं। पुलिस के अनुसार इन मामलों में कानूनी चुनौती इतनी गंभीर होती जा रही है कि अब हर ट्रैफिक सिग्नल और सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी बढ़ानी पड़ी है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने भी 2023 में फ्लाइंग स्क्वाड की तैनाती शुरू की थी जिसमें CISF और दिल्ली पुलिस के जवान शामिल हैं। इसका उद्देश्य मेट्रो में अश्लीलता और जबरन वसूली की घटनाओं पर अंकुश लगाना है। पुलिस के अनुसार ऐसे फर्जी ट्रांसजेंडरों की संख्या दिल्ली में करीब 5,000 से 10,000 के बीच हो सकती है।
महिपालपुर से दो बांग्लादेशी गिरफ्तार, फर्जी दस्तावेज भी बरामद
हाल ही में दिल्ली पुलिस ने महिपालपुर इलाके से दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है जो ट्रांसजेंडर का वेश धारण करके यात्रियों से जबरन पैसे वसूल रहे थे। उनकी पहचान माही और तान्या के रूप में हुई है। दोनों के पास से फर्जी आधार और पैन कार्ड भी बरामद हुए हैं जिनकी मदद से वे खुद को भारत का नागरिक साबित करते हुए ट्रांसजेंडर बताकर ठगी कर रहे थे। इन दोनों के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं कि ये लोग बसों और ट्रेनों में यात्रियों से बदतमीजी और मारपीट कर जबरन पैसे लेते हैं। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि इन्होंने हार्मोनल ट्रीटमेंट और सर्जरी कर अपनी पहचान को बदल दिया था ताकि शक न हो। गिरफ्तारी के बाद दोनों को विदेशियों से जुड़े कानून के तहत डिपोर्टेशन सेंटर भेज दिया गया।
बीते वर्षों की बड़ी घटनाएं और प्रशासन की चुनौतियाँ
यह समस्या कोई नई नहीं है। 2021 में दिल्ली के किशनगढ़ में तीन लोगों को ट्रांसजेंडर का वेश धारण कर वसूली और लूट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2022 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक ट्वीट के आधार पर रेलवे पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था जिसमें कुछ लोग ट्रांसजेंडर बनकर यात्रियों से वसूली कर रहे थे। 2023 में मेट्रो में एक ट्रांसजेंडर का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह यात्रियों से पैसे मांग रहा था। 2024 में दिल्ली मेट्रो में दो ट्रांसजेंडर ने एक यात्री के साथ गाली-गलौज और अश्लील व्यवहार किया। अब 2025 में महिपालपुर से दो बांग्लादेशी नागरिकों की गिरफ्तारी और जहांगीरपुरी में छह बांग्लादेशी नागरिकों के पकड़े जाने के बाद यह साफ हो गया है कि यह एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हिस्सा है जो भारत में अवैध रूप से रहकर ट्रांसजेंडर समुदाय की पहचान का गलत इस्तेमाल कर रहा है।
इन घटनाओं के बाद पुलिस और सामाजिक कल्याण विभाग की संयुक्त कार्रवाई बढ़ा दी गई है। शिकायत मिलते ही त्वरित कार्रवाई की जाती है और संदिग्धों पर नजर रखी जाती है। लेकिन असली चुनौती यह है कि जब कोई व्यक्ति अपनी पहचान छुपाने के लिए सर्जरी और हार्मोनल बदलाव करा लेता है तो उसे पहचानना और भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में प्रशासन को अब और अधिक सतर्कता और तकनीकी मदद की आवश्यकता है ताकि ट्रांसजेंडर समुदाय की असल छवि को बचाया जा सके और समाज में उनकी स्वीकार्यता पर कोई आंच न आए।
