Chirag Paswan News: केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है और जाति आधारित जनगणना कराने का ऐलान किया है। यह जनगणना मुख्य जनगणना के साथ ही की जाएगी। इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री और बिहार के युवा नेता चिराग पासवान ने बुधवार को अपनी प्रतिक्रिया दी। चिराग पासवान ने इस निर्णय को महत्वपूर्ण बताते हुए केंद्र सरकार की सराहना की।
चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री को दी धन्यवाद
चिराग पासवान ने कहा, “प्रधानमंत्री ने आज केंद्रीय कैबिनेट बैठक में जाति आधारित जनगणना को मंजूरी देकर देश के हित में एक अहम निर्णय लिया है। यह मेरी और मेरी पार्टी की एक लंबित मांग थी कि देश में जाति आधारित जनगणना हो, और आज इस मांग को मंजूरी मिल गई है। इसके लिए मैं देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री का दिल से आभार व्यक्त करता हूं।” चिराग पासवान ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जाति जनगणना को लेकर उनके और केंद्र सरकार के बीच कई गलतफहमियां फैलाई गई थीं। अब केंद्र सरकार का यह कदम इन सारी अफवाहों का स्पष्ट जवाब है।
प्रधानमंत्री आदरणीय श्री @narendramodi जी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जातीय आधारित जनगणना को मंजूरी देकर देशहित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
मेरी और मेरी पार्टी की एक लंबे अरसे से मांग रही थी कि देश में जातीय आधारित जनगणना कराई जाए , आज इस मांग को…
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) April 30, 2025
सरकार का कदम देश की समावेशी विकास की दिशा में बड़ा बदलाव
चिराग पासवान ने आगे कहा कि यह कदम देश के समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा बदलाव लाएगा। जाति आधारित जनगणना से नीतियां और अधिक समान और लक्षित तरीके से बनाई जा सकेंगी। इससे देश के पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाने के लिए ठोस जानकारी और आधार मिलेगा, जो उनकी भलाई के लिए जरूरी है। चिराग पासवान का मानना है कि यह निर्णय विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
कांग्रेस और पिछली सरकारों पर निशाना
चिराग पासवान ने कांग्रेस और पिछली सरकारों पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अन्य पिछली सरकारें हमेशा जाति जनगणना के खिलाफ रही हैं। स्वतंत्रता के बाद से जाति को किसी भी जनगणना प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है। चिराग ने यह भी याद दिलाया कि 2010 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में जाति जनगणना को कैबिनेट के सामने रखने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। कई मंत्रियों ने जाति जनगणना का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अंत में यह मामला केवल औपचारिकता के रूप में ही रह गया।
