Haryana News: हरियाणा के यमुनानगर जिले में आई तेज़ आंधी और भारी बारिश ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। करीब एक घंटे तक हुई बारिश से आम लोगों को गर्मी से राहत जरूर मिली लेकिन मंडियों में खुले में पड़ी किसानों की गेहूं भीग गई। जगाधरी की नई अनाज मंडी में खुले आसमान के नीचे रखी गई फसल पूरी तरह पानी में डूब गई। आढ़तियों की दुकानों के बाहर पड़ी बोरियां भीग गईं। बारिश ने प्रशासन के उन दावों की पोल खोल दी जो यह कहते थे कि मंडियों में खरीदी के लिए सारी तैयारियाँ पूरी हैं। इस स्थिति ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।
किसानों का पीला सोना बारिश में भीगा
जगाधरी अनाज मंडी में खुले में रखी गेहूं की बोरियां पूरी तरह पानी में भीग गईं। किसान सतपाल सिंह ने बताया कि वह जब फसल लेकर मंडी पहुंचे तो उन्हें तुरन्त तिरपाल मिल गई लेकिन जिन किसानों की फसल पहले से मंडी में पड़ी थी या जो गेहूं धूप में सुखा रहे थे उनकी हालत बहुत खराब हो गई। गेहूं की बोरियों के साथ-साथ कई किसानों की उम्मीदें भी इस बारिश में भीग गईं। मंडी में पानी भरने से न सिर्फ फसल का नुकसान हुआ है बल्कि गेहूं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा जिससे किसानों को उचित मूल्य मिलना मुश्किल हो सकता है।
फसल पकने में अब और देरी होगी
किसानों का कहना है कि यह बारिश फसलों की कटाई पर भी असर डालेगी। जिन खेतों में फसल खड़ी है वहां कटाई अब रुक गई है क्योंकि मिट्टी गीली हो चुकी है और मशीनें खेतों में नहीं जा सकतीं। किसान अब इंतजार करेंगे कि जमीन फिर से सूखे ताकि कटाई का काम शुरू हो सके। इससे फसल पकने में और देरी होगी और मंडियों में पहले से आई फसल पर भी असर पड़ेगा। प्रशासन ने दावा किया था कि खरीद से पहले पूरी तैयारी कर ली गई है लेकिन यह बारिश बता रही है कि हकीकत इससे कहीं अलग है।
प्रशासनिक दावे फेल साबित हुए
प्रशासन की तरफ से कहा गया था कि मंडियों में अनाज को सुरक्षित रखने के पूरे इंतजाम हैं लेकिन यह बारिश इन दावों को झूठा साबित कर गई। न तो तिरपाल की पूरी व्यवस्था थी और न ही अनाज को सुरक्षित रखने के लिए कोई स्थायी इंतजाम। किसानों का कहना है कि यह तो केवल एक घंटे की बारिश थी और प्रशासन पूरी तरह बेबस नजर आया। यदि आने वाले दिनों में दोबारा बारिश होती है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस बार क्या कदम उठाता है। फिलहाल मंडियों की स्थिति देखकर यही कहा जा सकता है कि किसानों को एक बार फिर खुद ही अपनी फसल की सुरक्षा करनी पड़ेगी।
