Donald Trump: अमेरिका में एक और बड़ा फैसला लिया गया है जो दुनियाभर में हलचल मचा सकता है। अमेरिकी सरकार ने विदेशी छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले के बाद अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे और वहां दाखिला लेने की इच्छा रखने वाले छात्रों के बीच चिंता की लहर दौड़ गई है। जानकारी के अनुसार, अमेरिकी गृह मंत्रालय ने हरवर्ड विश्वविद्यालय को चेतावनी दी है कि अगर वह 30 अप्रैल तक अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा धारकों द्वारा की गई “गैरकानूनी और हिंसक” गतिविधियों के रिकॉर्ड नहीं प्रदान करता, तो विश्वविद्यालय का विदेशी छात्रों का दाखिला रोक दिया जाएगा।
हरवर्ड विश्वविद्यालय को 2.7 मिलियन डॉलर की ग्रांट रद्द
अमेरिका के गृह मंत्री क्रिस्टी नोम ने हाल ही में हरवर्ड विश्वविद्यालय को दो ग्रांट रद्द करने का ऐलान किया है, जिनकी कुल राशि 2.7 मिलियन डॉलर थी। इस कदम को अमेरिकी सरकार का हरवर्ड के खिलाफ ताजा एक्शन माना जा रहा है। सरकार ने कहा कि अगर हरवर्ड विश्वविद्यालय 30 अप्रैल तक विदेशियों के वीजा धारकों की गतिविधियों के बारे में जरूरी जानकारी नहीं देता, तो विश्वविद्यालय का विदेशी छात्रों का प्रवेश रद्द कर दिया जाएगा। इस मामले में एक पत्र भी भेजा गया है, जिसमें हरवर्ड से इन गतिविधियों के रिकॉर्ड की मांग की गई है।
ट्रंप प्रशासन का हरवर्ड पर हमला, फेडरल फंडिंग पर भी रोक
यह कदम ट्रंप प्रशासन की ओर से हरवर्ड विश्वविद्यालय के खिलाफ उठाया गया एक और कदम है। इससे पहले, हरवर्ड ने प्रशासन के कुछ मांगों को खारिज कर दिया था, जिसके बाद अमेरिकी सरकार ने विश्वविद्यालय के लिए 2.2 बिलियन डॉलर की संघीय फंडिंग पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही, प्रशासन ने विश्वविद्यालय के कर-मुक्त स्थिति को भी रद्द करने की सिफारिश की थी। अमेरिकी सरकार का कहना है कि हरवर्ड की “रैडिकल विचारधारा” के कारण उसे यह कठोर कदम उठाना पड़ा है।
विदेशी छात्रों में दहशत, छात्रों और विश्वविद्यालयों में हलचल
अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद छात्रों और कॉलेजों में खलबली मच गई है। जिन छात्रों ने पहले ही विदेशी विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए आवेदन किया था, उनके लिए यह खबर बेहद निराशाजनक है। वहीं, इस फैसले से उन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को भी चिंता हो रही है जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर निर्भर रहते हैं। अमेरिकी सरकार का यह फैसला दुनिया भर के छात्रों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि अब उन्हें अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिले की प्रक्रिया को लेकर असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
