Waqf bill: सुप्रीम कोर्ट आज लगातार दूसरे दिन वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर सुनवाई करेगा। ऐसा माना जा रहा है कि आज देश की सबसे बड़ी अदालत इस मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित कर सकती है। कोर्ट आज वक्फ संपत्तियों के डिनोटिफिकेशन, कलेक्टर की जांच के दौरान नए प्रावधानों को लागू न करने और वक्फ बोर्ड व काउंसिल में गैर-मुस्लिमों की एंट्री को लेकर फैसला दे सकती है।
बुधवार को हुई थी दो घंटे लंबी सुनवाई
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ दो घंटे तक सुनवाई चली थी। कोर्ट ने तत्काल इस कानून पर रोक तो नहीं लगाई लेकिन देशभर में इसके खिलाफ हो रही हिंसा पर चिंता जताई थी। साथ ही केंद्र सरकार को दो हफ्तों में जवाब देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने साफ कहा कि कुछ प्रावधान अच्छे हैं लेकिन कुछ पर स्पष्टीकरण जरूरी है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 72 याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा जबकि मुस्लिम संस्थाओं और व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और सी यू सिंह जैसे वरिष्ठ वकीलों ने बहस की।
विरोध करने वालों का सबसे बड़ा आरोप यह था कि यह नया कानून मुस्लिमों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और उनके साथ भेदभाव करता है। उनका कहना है कि यह कानून असंवैधानिक है और इसे तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए। वहीं सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने इन आरोपों को निराधार बताया।
गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में एंट्री पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को क्यों शामिल किया गया है। क्या सरकार मंदिरों के बोर्ड में मुसलमानों को शामिल करने की अनुमति देगी? इस पर सरकार का जवाब था कि वक्फ बोर्ड में अधिकतर सदस्य मुस्लिम होंगे और गैर-मुस्लिम सदस्य दो से ज्यादा नहीं होंगे।
वक्फ बाय यूज़र प्रावधान खत्म करने पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अगर कोई संपत्ति कोर्ट द्वारा वक्फ घोषित की जा चुकी है तो क्या नए कानून के तहत उसे भी डिनोटिफाई किया जा सकता है? साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा कि जो ऐतिहासिक इमारतें वक्फ की हैं और जिनके दस्तावेज नहीं हैं, उनके प्रमाण कैसे जुटाए जाएंगे? इन सवालों पर कोर्ट ने चिंता जताई और कहा कि ऐसे मामलों में गंभीर असर हो सकता है।
बेंच ने उस प्रावधान पर भी आपत्ति जताई जिसमें कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवाद निपटाने और वक्फ घोषित संपत्तियों को सरकारी जमीन मानकर जांच करने का अधिकार दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर की भूमिका न्यायिक नहीं हो सकती और इससे पक्षपात की संभावना बढ़ जाती है।
कपिल सिब्बल ने रखा अपना पक्ष
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि 300 साल पहले कोई रजिस्ट्री या डीड नहीं थी तो अब वक्फ की संपत्तियों का सबूत कहां से लाया जाएगा? उन्होंने वक्फ बाय यूज़र हटाने का विरोध किया और गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताया। कोर्ट ने इस पर कहा कि जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को स्पष्टीकरण देना होगा।
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि वह इस मामले में अंतरिम आदेश पारित करना चाहती है ताकि “समानता का संतुलन” बना रहे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वे कुछ और तर्क रखना चाहते हैं और कोर्ट इस पर रोजाना सुनवाई कर सकता है। इसके बाद कोर्ट ने गुरुवार को फिर से सुनवाई तय की।
गर्मी भरी बहस में उठा धार्मिक चरित्र का मुद्दा
सुनवाई के दौरान एक तीखी बहस उस समय हुई जब कोर्ट ने पूछा कि अगर मंदिर बोर्ड में मुसलमान शामिल नहीं हो सकते तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम क्यों? कोर्ट ने कहा कि वक्फ काउंसिल में 22 में से सिर्फ 8 सदस्य मुस्लिम होंगे तो यह अल्पसंख्यक संस्था कैसे रह जाएगी?
